सूंडाला दुख भंजला तो सद जवाला भेस।
सै सूं पेल्या सुमरिये तो गोरी के पुतर गणेस॥
पेल्यां किस नै मनाईये तो किस का लिज्ये नांव।
मात-पिता गुरु आपणा तो भज अलख परुस का नांव॥
मनवा सतगुरु एसा किज्ये रै लिज्ये भली रै बुरी पहचान
भली रै बुरी पहचान लिज्ये भली रै बुरी पहचान [टेर]
भव सागर की भुल भुलया म भटक रह्यो अनजान
सतगुरु सांची राह दिखासी देसी रै अमरीत ग्यान [1] टेर
गुरु संग देव नाही कोई दूजा गुरु बिन मिलै नै ग्यान
गुरु गोविन्द को दरस करादे नाही कोई गुरु समान [2] टेर
गुरु पद पंकज पावन रज सै उठै मोह अग्यान
राम अवतार सरण सतगुरु की करै जीवन कल्याण [3] टेर।