हरि बाचक बिरम की हाट मंडी है जिन हाट म हार है लाख सोदाई।
गये थोड़ो ब्याज तो लेवण मुळजा को पाछो नै आई।
अरि मूळ ठगाय गये एक कानत असी बाचक बिरम हटाई।
इन हाट की खाट म आवो मति बिरम देखो तो देखो घट मांई॥

अगम की नींद म रे…… जोगिया रै
बिरला ही मोज उडाय ……हे [टेर]

सोयाय सगंत नींद म रै…… जोगिया रै…
कोण जगावण जाय… हे [1]  टेर

कोई री ताकत ना पड़ै रै…… जोगिया रै…
ताही सकै रै जगाय… हे [2]  टेर

जागै तो सोवै नाही रै…… जोगिया रै…
सोवै तो जागै रै नाय…हे [3]  टेर

सोवण जागण स्यूं परै रै…… जोगिया रै…
सोणी जजोग मिलाय…हे [4]  टेर

सवपन नै सुखोपत जागरत नाही रै…… जोगिया रै…
तुरिया म सहज समाय…हे [5]  टेर

बेखटकै री नींद म रै…… जोगिया रै…
सोया पाछै डर नाय…हे [6]  टेर

देवनाथ गुरु देव है रै…… जोगिया रै…
हात पकड़ ले ज्याय …हे [7]  टेर

मान गुरु सिस्य एक है रै…… जोगिया रै…
बाणबी बिलास थक ज्याय…हे [8]  टेर