परीत नै किज्ये पंछी जेसी जल सुखे उड़ जाय।
परीत किज्ये मछली जेसी जल सुखे मर ज्याय॥

अब रै काय रै सके ना खेल फकीरी रै अलबेला रो खेल [टेर]

अब ज्यूं रण माही लड़ै नर सूरा ईणिया झुक रही सेल
गोळी तो नार जुझरबा चालै सतमुख लेवै झेल [1] टेर

अब सति पति संग निसरी रै अपणै पिय कै गेल
सूरत लगी बा पति चरणा म अगम कया का मेल [2] टेर

अलड़ पांख जूं उल्टा रै चालै बांस भरत नट खेल
म्हे रूत की सर छेत गत बंका चढगी या गमकै मेल [3] टेर

अब दोय रै एक रहवै ना रै दूजा आप-आप रो खेल
कह सामत कोई अकल पिछाणै लीनी गरीबी झेल [4] टेर।