कोई तन दुखी तो कोई मन दुखी ओर कोई निरधन भया उदास।
थोड़ा-थोड़ा सबी दुखी तो एक सुखी राम को दास॥
समज मन मायला रै बीरा मेरा मेलोड़ी चादर धोय [ टेर ]
गुरु सा खुदाया कुआ बावड़ी रै बीरा मेरा नीर ए गंगाजळ होय
कई रै संत तो न्हायगा रै बीरा मेरा कई गया मुख धोय [1] टेर
तन चादर नै धोय ले रै बीरा मेरा मनस्यारी साबण होय
सूरत सीला पै दे फटकारो रै बीरै थ्हानै बिन को तांतो होय [2] टेर
रोईड़ो रंग फूटरो ए बीरा मेरा फूल अजब रंग होय
उफो तो दिखणी भोम म रै बीरा मेरा ब्याईनै मिलसै नै कोय [3] टेर
रूखो रै चनण सांवळो रै बीरा मेरा मरहम जाणै नै कोय
काट्या तो कंचन होय सी रै बीरा मेरा सहज सुगंदी होय [4] टेर
लिखमै माळी की बिनती रै बीरा मेरा गांम गया गम होय
तिजी तो पेड़ी लांघज्यो रै बीरा मेरा चोथी म तिरणा होय [5] टेर