कोई गांमगै मांय एक कास्तगार रहतो। बिकै कन एक घोड़ो हो। एक दिन बो घोड़ो आपगी जेवड़ी तुड़ा’र भाजगो। आ खबर सुण’र आस-पड़ोस का मिनख बिनै दिलासो देबा आया। सगळा बोल्या, ‘ओ तो भोत बुरो होयो।’ कास्तगार जुबाब दियो, ‘हां सायद।’ आगलै दिन कास्तगार को घोड़ो ओटो आग्यो अर आपगै सागै तीन जंगली घोड़ा बी ल्यायो। कास्तगार कै घरां पड़ोसी ओजूं आया अर सगळा आपगी खुसी बताई। बांकी बात सुण’र कास्तगार बोल्यो, ‘हां सायद।’ दूसरै दिन कास्तगार को लाडलो छोरो जंगली घोड़ा की सुवारी करबा की कोसिस करो हो जणा बो तळै पड़गो जिसूं बिकी टांग टूटगी। कास्तगार का पड़ोसी बिकै घरां सोक करबा नै आया। कास्तगार बांकी बातां को जुबाब दियो, ‘हां सायद।’ आगलै दिन सेना का अपसर आया अर गांमगै सगळा जुवान छोरा नै जोरामरदी फोज म भरती करबा क्ले लेगा। कास्तगार कै छोरा की टांग टूटणा सूं बो जाणा सै बचगो। पड़ोसी कास्तगार नै ई बात क्ले बधाई देबा आया। कास्तगार बस अत्तो ई खैयो, ‘हां सायद।’