एक धनमान मिनख एक बडै संत नै क्यूं लिख’र देबा क्ले खैयो, जखो बिकै अर बिकै कुणबा क्ले एक तांती सूं दूसरी तांती क्ले धन अर सुख नै बढाबाळो होवै। संत एक कागद पै लिख्यो, ‘बाप मरै है, बेटो मरै है, पोतो मरै है।’ आ देख’र धनमान मिनख नै भोत झाळ आयी। बो बोल्यो, ‘मै थ्हानै मेरै कुणबा की खुसाली क्ले किमी लिखबा क्ले खैयो हो। अंय्या को सुगलो मजाक मेरै सागै कंय्या कर सको हो?’ संत बोल्या ‘ओ कोई मजाक कोनी।’ जे थ्हारो बेटो थ्हारै सामै मर ज्याय जणा थ्हानै भोत दुख होवै है। अंय्या ई थ्हारो पोतो थ्हारै सामै मर ज्याय जणा थ्हानै अर थ्हारै बेटा नै भोत दुख होवै। जखो बी मै लिख्यो है, जे बंय्या ई एक तांती सूं दूसरी तांती म थ्हारै कुणबा मांय होतो जाय जणा थ्हारै कुणबा मांय सई सुख अर धन कायम रह सकै है। ओ ई जीवन को नेम है।