एक दिन गुबरीला नै बडो सो पोठो दिख्यो। बो बिकी परख करी अर आपगै भायला नै ईकै बारा म बतायो। बै सगळा बी पोठा नै देख्यो तो बै बिमै एक नगर बसाबा को परण कर्यो। कई दिना तांई बी पोठा म बेगार करबा कै पाछै बै एक बडी नगरी बणाई। बै आपगी सुफलता सूं राजी हो’र बी पोठा की खोज करबाळै गुबरीला नै ई नगरी को पेलो बादस्या बणा दियो। आपगै बादस्या कै मान म बै एक जोरदार परेड को कारयकरम राख्यो। जद बांकी परेड पूरी तरियां जोस म चालरी ही बी बखत एक हाथी बी पोठै की नगरी कै कन सूं जार्यो हो। बो पोठै नै देखता ई आपगो पग ठा लियो जिसूं बिको पग पोठै पै टिकणा सूं सुगलो नै हो ज्याय। जद बादस्या गुबरीलो आ देखी जणा बो आपै सूं बारै होगो अर झाळ म हाथी सूं बोल्यो, ‘अरै ओय, के तेरै म राजसता की ओर सूं कोई मान कोनी है? तू जाणै कोनी के तेरो अंय्या पग नै ठाणो मेरी कत्ती बडी बेजती है? पग तळै टेक’र तावळो सो माफी मांग बरना तनै सजा दी जासी!’ हाथी तळै देख’र बोल्यो, ‘माफ करो म्हाराज, मै मेरै पाप क्ले दया की भीख मांगू हूं। अत्तो खैर हाथी मान दिखातो होयो पोठै पै होळे सी आपगो पग टेक दियो।