आरतो

गाय गवाड़ै गोबर ल्यावो-2
ओ जी खना री माटी सायब चिकणी-2
जळ जमना रो नीर मंगायो-2
ओ लीपै सवागण घर आंगणो-2
माणक मोत्यां चोक पुरासो-2
ओ जी ढाळो सिंघासण सायब बसणो-2
ज्यां पै म्हारी बनड़ी बैठो-2
ओ जी करो नै भुआ बाई आरतो-2
ई आरतड़ै रोकर पयो-2
ओ जी सवा मण आखा बाई रै सिगै अढै-2

न्हावण को गीत

अळ-खळ अळ-खळ ननी ए भवास्यां ननी ए भवै ए म्हारो बुगलो मुळ-मुळ ना जी बुगलो बुजै पसरराय जादी देय भखत मत न्हावो जी
देय बखत का सिया ए मरो ला सिया ए मरो ला
दोपारी भलै न्हावो जी दोपारी म धूप पड़ैली धूप पड़ैली च्यार बजे भलै न्हावो जी
च्यार बखत का सिया ए मरो ला सिया ए मरो ला च्यार बजे भलै न्हावो जी

बनड़ी रो गीत

मै तनै बुजूं ए बनड़ी थ्हारै ए बैठण की चोकी कैण घड़ी जी
म्हारै ए सरां म्हारी सईयो बसै खाती को बेटो बणै घड़ी जी
मै तनै बुजूं ए बनड़ी थ्हारै न्हावण को ए कुंडो कैण घड़्‍यो जी
म्हारै ए सरां म्हारी सईयो बसै ए कुम्हारी को बेटो बणै घड़्‍यो जी
मै तनै बुजूं ए बनड़ी थ्हारै ए पैरण का कपड़ा कैण सिंया जी

हळदी को रंग सुरंग

म्हारी हळदी ए रांग सुरांग निपजै मूलावै लाड लडारो दादो जी दाद्‍यां रै मन रळै
मूलावै लाड लडारो बाबोजी बडिया रै मन रळै
मूलावै लाड लडारो चाचोजी चाच्यां रै मन रळै
मूलावै लाड लडारो बीरोजी भाभ्यां रै मन रळै
बनड़ी पीठड़ली दिन च्यार है मूळ-मूळ न्हाय ल्यो
लाडो चावळिया दिन च्यार रूच-रूच जीमै ल्यो

चाल सखी सतसंग म

एक घड़ी आदी घड़ी तो आदी म पुनयाद।
तुलसी संगत संत की तो कटै करोड़ अपराद॥
कहे मछन्दर नाथ कर सतसंग आत्म बल राखो।
आयो मोको हात सै गयो तो फेर पछताव स्यो॥

चालो सखी ए सतसंगत करिये बिरथा ए जनम गंवावत है री [टेर]

बालपण हंस खेल गमायो
जोबन का अंग सतावत है री चालो सखी ए सतसंगत करिये [1] टेर

गुरु बिन घोर अंधेरा

गणपति गोरी पुतर को तो पेल्या लिज्यो नांव।
कस्ट निवारण देव है तो बिपदा को के काम॥
जय सारदा मां जय सरस्वति ओर हंस वाहिनि माय।
सतसंग म मै गाय रह्‍या तो दिज्ये पार लगाय॥

गुरु बिन्या घोर अंधेरा रै साधो भाई गुरु बिन्या घोर अंधेरा रै
जसै मन्दिर है दीपक बिन सुना ना बसतु का बेरा रै [टेर]