मदवा घूमत जूं हाथी
मन लोभी मन लालची तो मन चंचल मन चोर।
मन कै मतै मत चालिये पलक-पलक म ओर।
मन जाणै मै मेल चढूं मोति पेरू कान।
सांई कै हात कतरनी बो राखै है उरमान॥
मदवा घूमत जूं हाथी अमर पटो मेरै सतगुरु लिख दिया जागी री साची
घूमत हो मतवाला मन तू घूमत जूं हाथी [टेर]