निन्दरा बेचद्यूं
तपस्या बरस हजार की ओर सतसंग की पल एक।
तो बी बराबर ना तुलै कवि सुखदेव किया विवेक॥
नीन्द निसाणी मोत की ओर उठ कबीरा जाग।
ओर रसायन छोड़ कै तो एक राम रसायन ध्यान॥
निन्दरा बेचद्यूं कोई ले तो निन्दरा बेचद्यूं कोई ले तो
रामोराम रटै तो तेरो माया जाळ कटैलो [टेर]